कुछ अन्य वैज्ञानिक वास्तु के नियम भी भवन की ऊर्जाओं में संतुलित करने के लिए आवश्यक है, जैसे कार्य करने वाले के बैठने की दिशा तथा स्थान विशेष में प्रयोग किये गये रंग। सामान्यतः पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना विधाध्यन, रिसर्च कार्य तथा ईमानदारी पूर्वक किये जाने वाले कार्यों के लिये उपयोगी है। उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना मैनिपुलेशन के कार्यों के लिये उपयोगी होता है।भवन अथवा कार्यस्थल की आंतरिक सज्जा इस प्रकार होनी चाहिये कि उत्तर तथा पूर्व का हिस्सा छत का हो इसके अतिरिक्त ईशान की तरफ स्थान का खुला होना भी सहयोगी होता है। दक्षिण पश्चिम का हिस्सा ऊँचा तथा भारी होना आवश्यक है। ये सामान्य नियम सहयोगी तो हैं किंतु आंतरिक साज-सज्जा में प्रयोग की गयी वस्तुओं की भी अपनी ऊर्जाओं का भी सकारात्मक होना अतिआवश्यक है, नकारात्मक ऊर्जाओं वाली वस्तुयें भवन का पूरा आंतरिक वातावरण नष्ट कर सकती हैं, यह हमेशा याद रखना चाहिए।-संजीव गुप्त
गुरुवार, 21 जनवरी 2010
वैज्ञानिक वास्तु : हमेशा उपयोगी है अच्छा वास्तु वातावरण
कुछ अन्य वैज्ञानिक वास्तु के नियम भी भवन की ऊर्जाओं में संतुलित करने के लिए आवश्यक है, जैसे कार्य करने वाले के बैठने की दिशा तथा स्थान विशेष में प्रयोग किये गये रंग। सामान्यतः पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना विधाध्यन, रिसर्च कार्य तथा ईमानदारी पूर्वक किये जाने वाले कार्यों के लिये उपयोगी है। उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना मैनिपुलेशन के कार्यों के लिये उपयोगी होता है।भवन अथवा कार्यस्थल की आंतरिक सज्जा इस प्रकार होनी चाहिये कि उत्तर तथा पूर्व का हिस्सा छत का हो इसके अतिरिक्त ईशान की तरफ स्थान का खुला होना भी सहयोगी होता है। दक्षिण पश्चिम का हिस्सा ऊँचा तथा भारी होना आवश्यक है। ये सामान्य नियम सहयोगी तो हैं किंतु आंतरिक साज-सज्जा में प्रयोग की गयी वस्तुओं की भी अपनी ऊर्जाओं का भी सकारात्मक होना अतिआवश्यक है, नकारात्मक ऊर्जाओं वाली वस्तुयें भवन का पूरा आंतरिक वातावरण नष्ट कर सकती हैं, यह हमेशा याद रखना चाहिए।-संजीव गुप्त
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
behtreen, prerak,samvednaon ko dheere se chhoo lene wale is dilchasp blog ke liye shukriya aur mubarak bad.Raju bhai we are proud of you.Jyoti sinha lucknow
जवाब देंहटाएं