गुरुवार, 26 नवंबर 2009

वास्तु-समझें रंगों का महत्व

किसी भवन की ऊर्जा को संतुलित करना वास्तुं का मूल ध्येय है। ऊर्जा विज्ञान की एक उप शाखा है कम्पन विज्ञान। यदि कम्पन विज्ञान पर नजर डालें तो ज्ञात होता है कि ब्रहमाण्‍ड तो कम्पन का अथाह महासागर है। वस्तुओं की प्रकृतियां उनके कम्पनों के मुताबिक होती हैं। इस सत्य को अगरचे हम वास्तु के संदर्भ में अध्ययन करें और गंभीरता से देखें तो विदित होता है कि हम अपने चतुर्दिक व्यातप्त कम्पनों से प्रभावित हो रहे हैं। विभिन्न‍ प्रकार के ये कम्पन विद्युत चुम्‍बकीय क्वां टम अथवा एस्ट्रषल स्तर पर हो सकते हैं। रंग और ध्‍वनि के स्तर से ये हमको प्रभावित करते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि रंग और ध्वनि इस प्रकार की ऊर्जाएं हैं जिन्होंने प्रकृति एवं वातावरण के माध्यम से हमें अपने वर्तुल में घेर रखा है। यही कारण है कि वास्तु् विज्ञान में ध्वनियों तथा रंगों का स्‍थान अत्यंधिक महत्वपूर्ण है।



पंचतत्व के रंग- हमारे शरीर का निर्माण पंच तत्वों से हुआ है। प्रत्येक तत्व के सूक्ष्म, अति सूक्ष्म अवयव हमारे शरीर में विदयमान हैं। इन अवयवों का अपना-अपना रंग होता है। मानव शरीर के प्रत्‍येक हिस्से का अपना आभामंडल होता है। शास्त्रों के अनुसार पंच तत्वों के रंगों का विभाजन कुछ इस प्रकार किया गया है। जल का रंग हरा, पृथ्वी का रंग नारंगी एवं बैगनी, अग्नि का रंग लाल तथा पीला, वायु का बैगनी तथा आकाश का रंग नीला माना गया है। रंगों का वैज्ञानिक महत्व वैज्ञानिक शोधों एवं अन्तरराष्ट्रीय स्‍तर पर किये गये अध्ययन के अनुसार रंगों की प्रकृति तथा प्रभाव का ज्ञान होता है। शोधों से जो निष्कर्ष निकलता है वह काफी महत्वपूर्ण है। चिकित्सा्, मनोविज्ञान, भवनों के अंदरूनी हिस्सों में रंगों का उचित रूप से प्रयोग करके कार्य क्षमता में वृद्धि तथा स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति रंगों की भूमिका और प्रभाव को प्रभावित किया जा सकता है। शोधों से यह निष्कर्ष भी प्राप्त हुआ है कि व्‍यक्तिगत स्तर पर रंगों का चयन तब्दील हो जाता है। इससे पता चलता है कि भिन्न -भिन्न रंग अलग-अलग व्‍यक्तियों पर विभिन्‍न -विभिन्‍न प्रभाव डालते हैं। वैज्ञानिक शोधों में अधिकांश अलग-अलग समूहों पर समान प्रभाव पडने वाले कारणों व प्रभावों का अध्ययन किया गया है। शंका यह उठती है कि क्या वास्तव मे रंग मानव के लिए बहुत प्रभावशाली है। इस शंका का निवारण करने के लिए मनुष्य स्वयं प्रयोग करके अपने नतीजे निकाल सकते हैं। - नीले रंग के स्विमिंगपूल में तैरने से हाइपरटेंशन के मरीज का उच्च रक्तंचाप कम हो सकता है। - यदि आप पूरे दिन लाल अथवा काले रंग के मोजे पहनते हैं तो रात में जब आप मोजे उतारते हैं तो काले की अपेक्षा लाल रंग के मोजे में पैर ज्‍यादा गर्म रहते हैं।


-गुलाबी रंग के पैक मे रंग में रखी गयी पेस्ट्रीम ज्या दा स्वाादिष्ट होती हैं। - लाल प्रजाति की काली मिर्च दिखाने पर मुर्गी के अंडों की जर्दी (पाक) लाल रंग की हो जाती है। - रंग ऊर्जा का ही रूप हैं, ये स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक प्रभाव रखते हैं। सामान्यत: एक ही रंग के भोज्‍य पदार्थों में समान प्रकार के विटामिन प्राप्त होते हैं। उदाहरण के तौर पर पीले व हरे प्राकृतिक भोज्य पदार्थ जैसे नीबू, मौसमी आदि विटामिन सी के स्रोत होते हैं। - रंग हमें सशक्त रूप से प्रभावित करते हैं, हमारे शरीर व मन पर विभन्न कारण से रंगों का प्रभाव पड़ता है। ये कारण भौगोलिक, सामाजिक, शिक्षागत अथवा अनुवांशिक हो सकते हैं। यहां एक ध्यान देने वाली बात यह भी है कि हमारे शरीर की ग्रंथियों (इंडोसेराइनल सिस्टम) का तानाबाना सीधे तौर पर रंगों से प्रभावित होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि हमको अनुवांशिक रूप से मिले न्यूरो ट्रांसमीटर पिटसवर्ब पेंट कम्पनी ने रंगों पर एक प्रयोग के दौरान एक कम्पनी को चुना। कुछ कर्मचारियों के कमरे में रात्रि के दौरान दीवारों पर लाल रंग कर दिया गया। शुरुआत के कुछ घंटों में इन कर्मचारियों ने अन्य कर्मचारियों की तुलना में दोगुना कार्य किया मगर शाम होते-होते इनमें आपस में झगड़ा शुरू हो गया। इस प्रयोग का अध्ययन मनोवैज्ञानिक कर रहे थे। उन्होंने निष्क र्ष निकाला कि लाल रंग के अत्यधिक प्रयोग की वजह से रक्तो में एडरेनलिन का स्तर बढ़ गया था, फलस्वंरूप इस प्रकार की घटना हुई। इसके विपरीत पीले, हरे एवं नीले रंगों का प्रयोग दवा के तौर पर शांति और दर्द निवारक के रूप में किया जाता है। नारंगी रंग ऊर्जावान माना जाता है। नारंगी तथा पीले रंगों का प्रयोग कब्जो दूर करता है, इसके प्रयोग से गुर्दे आदि शुदध होने आरम्भ हो जाते हैं। वस्तु्त: विद्युत चुम्बाकीय इंद्रघनुषी (स्पेथक्ट्ररम) का हिस्सा होते हैं ये रंग। इस आक्टेदव शेष हिस्सा कास्मिक किरणें, गामा किरणें, क्ष किरणें (एक्स( रे) परा बैगनी किरणें (अल्‍ट्रा वायलेट), इन्फ्राहरेड किरणें, रेडियो किरणें तथा हर्टज किरणें होती हैं। ये समस्त किरणें विद्युत चुम्ब्कीय ऊर्जा का ही रूप हैं। इनसे जो ऊर्जा उत्‍सर्जित होती हैं उसका विशेष हिस्सा जिसकी तरंग लम्बाई 380 से 760 मिली माइक्रान के बीच होती है उसे हम अपने नेत्रों से देख सकते हैं। सामान्‍य रूप से सभी रंग उसी श्रेणी में आते हैं। -संजीव गुप्त

9 टिप्‍पणियां:

  1. यह एक फील्ड है, जिसपर बहुत जानने की जरूरत है पर बहुत हाफ-बेक्ड रेसिपीज मिलती हैं।

    Word verification would probably repel comments!

    जवाब देंहटाएं
  2. लाल रंग के अत्यधिक प्रयोग की वजह से रक्तो में एडरेनलिन का स्तर बढ़ गया था, फलस्वंरूप इस प्रकार की घटना हुई। इसके विपरीत पीले, हरे एवं नीले रंगों का प्रयोग दवा के तौर पर शांति और दर्द निवारक के रूप में किया जाता है। नारंगी रंग ऊर्जावान माना जाता है। नारंगी तथा पीले रंगों का प्रयोग कब्जो दूर करता है, इसके प्रयोग से गुर्दे आदि शुदध होने आरम्भ हो जाते हैं.....

    अपनी तरह का अनोखा ब्लॉग लगा आपका ...रंगों का प्रभाव शरीर या मन पर पड़ता है इतना तो पता था पर बीमारी में भी लाभप्रद है ये आज पता चला ....आभार ...!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. वास्तु के बारे में अभी और अधिक जानकारी की जरूरत है है। इस लेख के माघ्यम से वास्तु के संबंध में प्रमाणिक जानकारी देकर आपने नेक काम किया है।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर जानकारी पूर्ण लेख."सच में" पर आने का धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत रोचक और काम की जानकारी है धन्यवाद और शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  7. रगो से उर्जावान करना हवा

    जवाब देंहटाएं